इन आदतों से डायबिटीज पेशेंट भी बढ़ा सकते हैं फर्टिलिटी, धीरे-धीरे दिखने लगेगा असर

Diabetes Fertility Tips : डायबिटीज को अक्सर सिर्फ ब्लड शुगर से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन इसका असर शरीर के कई हिस्सों पर पड़ता है. खासतौर पर फर्टिलिटी (प्रजनन क्षमता) पर. पुरुष और महिलाएं दोनों ही डायबिटीज की वजह से हार्मोनल बदलाव, कमजोरी, ओव्यूलेशन और स्पर्म की क्वालिटी में कमी जैसी समस्याओं का सामना कर सकते हैं, लेकिन कुछ स्मार्ट और हेल्दी आदतें अपनाकर डायबिटिक भी अपनी फर्टिलिटी को बेहतर बना सकते हैं.

1. ब्लड शुगर लेवल रखें कंट्रोल

सबसे जरूरी बात ये है कि डायबिटीज को कंट्रोल में रखें. जब ब्लड शुगर ज्यादा होता है तो शरीर के हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं, जिससे गर्भधारण (Pregnancy) में दिक्कत होती है. रोज ब्लड शुगर की मॉनिटरिंग करें, डॉक्टर के अनुसार दवा या इंसुलिन लें, बहुत ज्यादा मीठे या प्रोसेस्ड फूड से बचें.

2. बैलेंस्ड डाइट अपनाएं

सही खानपान आपकी फर्टिलिटी को सपोर्ट करता है. डायबिटीज के मरीजों को ऐसी डाइट लेनी चाहिए जिससे शुगर भी न बढ़े और शरीर को ज़रूरी पोषण भी मिले. अपनी डाइट में हरी सब्जियां (पालक, मेथी, ब्रोकोली), हाई फाइबर फूड्स (दलिया, साबुत अनाज), लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फल (जैसे सेब, जामुन), हेल्दी फैट्स (जैसे- एवोकाडो, ऑलिव ऑयल, नट्स) वाली चीजें जरूर शामिल करें.

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3. नियमित एक्सरसाइज करें

शारीरिक गतिविधि से ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है और हार्मोन बैलेंस बनता है. साथ ही ये तनाव भी कम करता है, जो फर्टिलिटी (Fertility) पर गहरा असर डालता है. इसके लिए रोज कम से कम 30 मिनट वॉक या हल्की एक्सरसाइज करें, योग, मेडिटेशन, प्राणायाम से भी बहुत फायदा मिलेगा.

4. तनाव को कहें अलविदा

तनाव (Stress) डायबिटीज और फर्टिलिटी दोनों को नुकसान पहुंचाता है. तनाव से शरीर में कॉर्टिसोल नाम का हार्मोन बढ़ता है जो ओव्यूलेशन और स्पर्म प्रोडक्शन को प्रभावित करता है. स्ट्रेस कम करने के लिए गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज करें, म्यूजिक सुनें, किताबें पढ़ें, कम से कम 7-8 घंटे की नींद पूरी करें.

5. विटामिन्स और सप्लीमेंट्स लें

डॉक्टर की सलाह से कुछ विटामिन्स और सप्लीमेंट्स लेना फर्टिलिटी में सुधार कर सकता है. आप विटामिन D, विटामिन B12, फोलिक एसिड और ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे सप्लीमेंट्स को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना सकते हैं.

6. रेगुलर मेडिकल चेकअप कराएं

हर 3-6 महीने में शुगर और हार्मोन से जुड़े टेस्ट ज़रूर कराएं. इससे समय पर दिक्कत पकड़ में आ जाती है और ट्रीटमेंट आसान हो जाता है. इसमें किसी तरह की लापरवाही न करें, ताकि किसी तरह की परेशानी न हो.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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