अच्छी नींद लेने के लिए कितना होना चाहिए आपका रूम टेंपरेचर, जान लीजिए जवाब

क्या आप जानते हैं कि आपके कमरे का तापमान आपकी नींद की क्वालिटी को काफी ज्यादा प्रभावित करता है? हाल ही में हुए रिसर्च में खुलासा हुआ है कि वृद्धों या बुजुर्ग को रात की अच्छी नींद चाहिए. तो जब वह सोने जाते हैं तो उनके रूम का टेंपरेचर अच्छा होना चाहिए. उनके बेडरूम में सही तापमान होना चाहिए.

अच्छी नींद से ओवरऑल हेल्थ का विकास होता है

जबकि पिछले रिसर्च ने सुझाव दिया था कि सोने के लिए सही कमरे का तापमान 60 से 68 डिग्री फ़ारेनहाइट (18.3 डिग्री सेल्सियस) होना चाहिए है. हम सभी जानते हैं कि नींद हमारे ओवरऑल हेल्थ और तंदुरुस्ती के लिए महत्वपूर्ण है. और यह बात खासकर वृद्धों के लिए एकदम सटीक बैठती है. नींद की कमी हमारे फिजिकल एक्टिविटी, मनोदशा, प्रोडक्टिविटी और यहां तक ​​कि पुरानी बीमारियों पर भी बुरा प्रभाव डाल सकती है.

रूम का टेंपरेचर 20-25 डिग्री सेल्सियस चाहिए

एक रिसर्च के मुताबिक रात के समय 68 से 77 डिग्री फ़ारेनहाइट (20 से 25 डिग्री सेल्सियस) के बीच का परिवेशी तापमान इष्टतम नींद दक्षता और आराम के लिए सबसे अच्छा है. लेकिन यहां पर यह दिलचस्प हो जाता है. जैसे-जैसे तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ता है. नींद की दक्षता में 5-10 प्रतिशत की भारी गिरावट आती है.

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल

हिब्रू सीनियरलाइफ और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में हिंडा और आर्थर मार्कस इंस्टीट्यूट फॉर एजिंग रिसर्च के प्रमुख शोधकर्ता अमीर बनियासादी ने व्यक्तिगत जरूरतों और परिस्थितियों के आधार पर व्यक्तिगत तापमान समायोजन के महत्व पर जोर दिया. अमीर बनियासादी ने कहा,ये परिणाम घर के तापीय वातावरण को अनुकूलतम बनाकर वृद्धों में नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की क्षमता को उजागर करते हैं तथा व्यक्तिगत आवश्यकताओं और परिस्थितियों के आधार पर व्यक्तिगत तापमान समायोजन के महत्व पर बल देते हैं.

नींद की क्वालिटी इन बातों पर निर्भर करती है

इसका मतलब यह है कि प्रत्येक वृद्ध व्यक्ति को अपनी नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए अपने शरीर के हिसाब से खुद का सही तापमान ढूंढ़ना चाहिए. जर्नल साइंस ऑफ़ द टोटल एनवायरनमेंट में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक वृद्ध व्यक्तियों, विशेष रूप से निम्न सामाजिक आर्थिक स्थिति वाले लोगों की नींद की गुणवत्ता पर जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभाव पर भी प्रकाश डालना चाहिए.

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इस रिसर्च में 11,000 व्यक्तियों से डेटा, 50 वृद्धों की रातों की नींद और पर्यावरण संबंधी जानकारी को शामिल किया गया. हालांकि इन नींद संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए चिकित्सा और व्यवहार संबंधी हस्तक्षेप विकसित किए गए हैं, लेकिन एक पहलू को काफी हद तक नजरअंदाज किया गया है. वह वातावरण जिसमें वे सोते हैं. यही वह जगह है जहां यह अध्ययन आता है. जो नींद के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए पर्यावरणीय हस्तक्षेप की क्षमता पर प्रकाश डालता है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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