पालघर: पालघर जिला आदिवासी बहुल्य क्षेत्र होने की वजह से यहां के ग्रामीण सालों पहले वाली जिंदगी जीने पर मजबूर है। यहां के जव्हार, मोखाडा,वाड़ा, विक्रमगढ़,तलासरी व डहाणू तालुका में जन सुविधाएं कोसों दूर है।एक भयावक तस्वीर ने आज यहां विकास के नारे लगाने वाले जनप्रतिनिधियों की पोल खोल दी है। इस जिले में आदिवासी सांसद होने के बावजूद इस क्षेत्र में विकास नही हुआ। आस पास के गांव की महिलाएं अपने छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लेकर लकड़ी के बने पुल पर जोखिम भरा सफर तय करने को मजबूर है। यह मामला विक्रमगढ़ तालुका के डोल्हारी बुद्रुक गांव से सामने आया है। यह क्षेत्र वर्तमान सांसद का विधानसभा क्षेत्र भी है। इस गांव के आसपास तीन चार छोटे छोटे गांव है।
लकड़ी के पुल की जर्जर स्थिति
इस गांव में एक नदी है जिसपर लकड़ी का पुल बना हुआ है जो काफी जर्जर हालत में है। इस पुल पर रोजाना ग्रामीण जानलेवा सफर करने पर मजबूर है। पिछले कई सालों से ग्रामीण यहां पुल बनाने की मांग कर रहे है,लेकिन न जनप्रतिनिधि सुनते है और न ही जिला प्रशासन इस गंभीर समस्या पर ध्यान देता है। बतादें कि विक्रमगढ़ के डोल्हारी बुद्रुक गांव के आसपास खड़कीपाड़ा, बरहट पाड़ा और ठाकरपाड़ा गांव है। इन गांवों में जाने के लिए एक पुल था,जो पंद्रह साल पहले आई बाढ़ में बह गया। खड़कीपाड़ा के अधिकांश किसानों की खेती बरहट पाड़ा और ठाकरपाड़ा से सटी हुई है। इसलिए उन्हें नदी पार जाना पड़ता है।
15 सालों की मांग और नहीं मिला पुल
पुल नही होने के कारण ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है,खासकर बारिश के दिनों लोगों अधिक तकलीफें उठानी पड़ती है। 15 साल पहले बह गए पुल की मरम्मत और नया पुल बनाने के लिए ग्रामीण 15 सालों से मांग कर रहे हैं। लेकिन आज तक प्रशासन,अधिकारियों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों ने भी इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया है। ग्रामीणों ने अपनी इस समस्या का खुद ही उपाय निकाला और सबने मिलकर वहां एक लकड़ी का पुल तैयार किया।
जोखिम भरा महिलाएं और छात्रों का सफर


इस पुल से ग्रामीण जानलेवा सफर करने पर मजबूर है। ग्रामीणों का कहना है कि इसी पुल से स्कूली छात्रों,बीमार लोगों, महिलाओं बुजुर्गों को आए दिन जान जोखिम में डालकर जाना पड़ता है। इस तरह की तस्वीरें सामने आने से जिला प्रशासन व सरकार के तमाम विकास कार्यो के वादों की पोल खुलती नजर आ रही है। विक्रमगढ़ विधानसभा क्षेत्र पूर्व पालकमंत्री व आदिवासी मंत्री स्वर्गीय विष्णु सावरा का गढ़ है। उनके बेटे डॉ हेमंत सावरा जिले के सांसद है। इस विषय को लेकर जब डॉ हेमंत सावरा से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि इस बारे में मुझे जानकारी नही है।