वरूथिनी एकादशी कब ? श्रीकृष्ण ने बताया इसका महत्व, जान लें डेट, मुहूर्त

Varuthini Ekadashi 2025: वैशाख माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकदाशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. जो व्यक्ति वरूथिनी एकादशी का व्रत करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है, हमेशा प्रसन्न रहता है और उसे शुभ फल प्राप्त होते हैं.

वरूथिनी एकादशी के दिन जरूरतमंदों को दान देने से वर्षों तक तप करने के बराबर फल प्राप्त होता है. इस साल वरुथिनी एकादशी का व्रत अप्रैल में कब किया जाएगा यहां जान लें.

वरूथिनी एकादशी 2025 कब ?

वरूथिनी एकादशी इस साल 24 अप्रैल 2025 को है. इस दिन गुरुवार भी है. ऐसे में एकादशी और गुरुवार का संयोग इस एकादशी का महत्व दोगुना कर रहा है.

वरूथिनी एकादशी 2025 मुहूर्त

वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी 23 अप्रैल 2025 को शाम 4.43 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 24 अप्रैल 2025 को दोपहर 2.32 मिनट पर इसका समापन होगा.

  • पूजा मुहूर्त – सुबह 5.47 – सुबह 7.25
  • सुबह 10.41 – दोपहर 1.58

वरूथिनी एकादशी व्रत पारण समय

वरूथिनी एकादशी का व्रत पारण 25 अप्रैल 2025 को सुबह 5.46 से सुबह 8.23 के बीच किया जाएगा. पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय सुबह 11.44

वरुथिनी एकादशी व्रत करने से क्या होता है ?

भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा, “जो व्यक्ति श्री हरि के चरणों में मन को स्थिर करके श्रद्धा पूर्वक वरूथिनी एकादशी का व्रत करता है, उसे दस हज़ार वर्षों तक तप करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. यहां तक कि यदि कोई अत्यंत पापी व्यक्ति भी वरूथिनी एकादशी का व्रत करता है, तो उसके पापपूर्ण विचार धीरे-धीरे नष्ट हो जाते हैं, और वह उच्च लोकों की प्राप्ति करता है”

वरूथिनी एकादशी व्रत कैसे करें ?

वरुथिनी एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करें और मंदिर स्वच्छ करें. इसके बाद हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें और भगवान विष्णु व भगवान कृष्ण का पूजन आरंभ करें. भगवान को चंदन का तिलक लगाएं और फूल माला व मिठाई अर्पित करें. इसके बाद घी का दीपक जलाएं और पंचामृत का भोग अवश्य लगाएं. फिर व्रत कथा पढ़ें व आरती करें. एकादशी व्रत के दिन भगवान को न तो अन्न का भोग लगाया जाता है और न ही स्वयं अन्न का सेवन किया जाता है.

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