भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमैया एक बार फिर से चर्चा में हैं, इस बार वसई-विरार क्षेत्र में मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकरों को हटवाने की मांग को लेकर। यह पहल उन्होंने मुंबई के उपनगर मुलुंड में की गई एक सफल लाउडस्पीकर हटाओ मुहिम के बाद शुरू की है, जहाँ स्थानीय प्रशासन और नागरिकों के सहयोग से कई धार्मिक स्थलों पर से लाउडस्पीकर हटाए गए थे।
मुलुंड में हटाए गए थे लाउडस्पीकर
मुलुंड में कुछ समय पूर्व नागरिकों की शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए कई धार्मिक स्थलों,विशेषकर मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाए गए थे। इस अभियान का नेतृत्व किरीट सोमैया ने किया था, जिसमें उन्होंने ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ एक सख्त रुख अपनाते हुए इसे सभी धर्मों पर समान रूप से लागू करने की मांग की थी। उनके अनुसार, यह मुहिम न केवल कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक थी, बल्कि आम नागरिकों के मौलिक अधिकार खासकर शांति और नींद का अधिकार की रक्षा के लिए भी जरूरी थी।
वसई-विरार में हो चुकी शुरुआत
मुलुंड मॉडल को ध्यान में रखते हुए अब सोमैया वसई-विरार में भी यही अभियान शुरू कर चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यहाँ कई मस्जिदों पर नियमों के विरुद्ध तेज़ आवाज़ में लाउडस्पीकर का उपयोग किया जा रहा है, जो सुबह-सुबह और देर रात तक लोगों की दिनचर्या को बाधित करता है। इसके लिए उन्होंने संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा है और जल्द ही प्रशासनिक कार्रवाई की मांग की है।
इन सब मुद्दों को लेकर आज भाजपा नेता किरीट सोमैया ने नालासोपारा पश्चिम के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक विश्वास वालवी से मुलाक़ात की और नालासोपारा पश्चिम के यशवंत गौरव कॉम्प्लेक्स स्थित ऑरेंज हाइट इमारत में लगे लाउडस्पीकर को जल्द से जल्द सख्ती से कार्रवाई कर हटाने की मांग की।
भारतीय सर्वोच्च न्यायालय और महाराष्ट्र सरकार द्वारा लाउडस्पीकर उपयोग को लेकर समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इसमें रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर के उपयोग पर रोक, ध्वनि सीमा (dB) का पालन, और सार्वजनिक स्थानों पर उपयोग से पूर्व अनुमति की अनिवार्यता जैसी बातें शामिल हैं।
प्रतिक्रियाएं और विवाद
सोमैया की इस पहल को लेकर जनता में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोग इसे ध्वनि प्रदूषण के विरुद्ध एक सकारात्मक कदम मानते हैं, तो कुछ इसे केवल एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने वाला राजनीतिक हथकंडा बता रहे हैं। हालांकि सोमैया का कहना है कि उनका उद्देश्य किसी धर्म विशेष को निशाना बनाना नहीं है, बल्कि नियमों का समरूप पालन सुनिश्चित कराना है।
निष्कर्ष

ध्वनि प्रदूषण एक गंभीर सामाजिक और स्वास्थ्य समस्या है, और धार्मिक स्थलों से उत्पन्न ध्वनि भी इसमें एक बड़ा कारक हो सकती है। किरीट सोमैया द्वारा उठाया गया यह कदम यदि निष्पक्ष रूप से लागू होता है, तो यह अन्य नगरों के लिए भी एक मॉडल बन सकता है। हालांकि, प्रशासन को चाहिए कि वह संवेदनशीलता के साथ काम करे और सुनिश्चित करे कि कोई भी कार्रवाई सांप्रदायिक तनाव का कारण न बने।