शीतला सप्तमी की कथा, इसके बिना अधूरी है पूजा

Sheetala Puja 2025: आज शीतला सप्तमी है और 22 मार्च को शीतला अष्टमी की पूजा की जाएगी. शीतला पूजा के दौरान माता को ठंडा भोग लगाया जाता है. मान्यता है कि व्रत में कथा का श्रवण जरुर करना चाहिए, तभी व्रत पूर्ण होता है.

शीतला सप्तमी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक गांव में ब्राह्मण दंपति रहते थे. उनके दो बेटे थे और दोनों की ही शादी हो चुकी थी. उन दोनों बहुओं को कोई संतान नहीं थी. लंबे समय बाद उन्हें संतान हुई. इसके बाद शीतला सप्तमी का पर्व आया इस अवसर पर घर में ठंडा खाना बनाया गया. दोनों बहुओ के मन में विचार आया कि अगर हम ठंडा खाना खाएंगे तो बच्चे बीमार हो सकते हैं. दोनों बहुओं ने बिना किसी को बताएं दो बाटी बना ली.

सास बहू शीतला माता की पूजा की और कथा सुनी. बहुएं बच्चों का बहाना बनाकर घर आ गई और गरम गरम खाना खाया इसके बाद जब सास घर आई तो उसने दोनों बहुओं से खाना खाने के लिए कहा, दोनों बहुएं काम में लग गई. सास ने कहा कि बच्चे बहुत देर से सो रहे हैं उन्हें जगाकर कुछ खिला दो. जैसे ही दोनों बच्चों को उठाने के लिए गई दोनों बच्चे बेसुध अवस्था में थे.

दोनों बहुओं ने रो रो कर अपनी सास को सारी बात बताई. सास ने दोनों को बहुत सुना और कहा कि अपने बेटों के लिए तुमने माता शीतला की अवहेलना की है. दोनों घर से निकल जाओ और दोनों बच्चों को जिंदा स्वस्थ लेकर ही घर में कदम रखना. दोनों बहुएं अपने बच्चों को टोकरे में रखकर घर से निकल पड़ी, रास्ते में एक जीर्ण वृक्ष आया, जो खेजड़ी का वृक्ष था. इसके नीचे दो बहने बैठी थी जिनका नाम ओरी और शीतला था.

दोनों ने ओरी और शीतला के सिर से जुएं निकाली, जिससे वह काफी समय से परेशान थी. दोनों बहनों ने कहा कि अपने मस्तक में शीलता का अनुभव किया. दोनों ने अपनी व्यथा उन्हें बताई और कहा कि हमें शीतला माता के दर्शन हुए नहीं. इतने में शीतला माता बोल उठी की तुम दोनों दुष्ट हो, दुराचारिणी हो. शीलता सप्तमी के दिन ठंडा भोजन करने के बदले तुम दोनों ने गरम खाना खाया है.

इतना सुनते ही दोनों बहुओं ने शीतला माता को पहचान लिया. वह माता के पैरों में पड़ गई और माफी की गुहार करने लगी. कहा कि हम दोनों आपके प्रभाव से वंचित थे. दोबारा ऐसी गलती कभी नहीं करेंगे. बहुओं की बात सुनकर शीतला माता को तरस आ गया और पुन: उनके बच्चों को माता ने जीवनदान दे दिया.

बहुओं ने कहा हम गांव में शीतला माता के मंदिर का निर्माण करवाएंगे और चैत्र महीने में शीलता सप्तमी के दिन सिर्फ ठंडा खाना ही खाएंगे. शीतला माता ने बहुएं पर जैसी अपनी दृष्टि की वैसी कृपा मां सप पर बनाएं रखे.

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