Akshaya Tritiya 2025 Live: अक्षय तृतीया कल, जानें पूजा, दान, सोने-चांदी की खरीदारी का मुहूर्त

Akshaya Tritiya 2025 Shopping Mahurat Live: अक्षय तृतीया वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होती है. इसे आखातीज या अक्खा तीज के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक दृष्टिकोण से अक्षय तृतीया की तिथि बेहद शुभ और सभी कार्यों के लिए उपयुक्त मानी जाती है. आप इस दिन बिना मुहूर्त देखे कोई भी काम कर सकते हैं.

खासकर सोने-चांदी की खरीदारी के लिए अक्षय तृतीया का दिन अच्छा माना जाता है, क्योंकि इससे सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. इसके साथ ही पूजा-पाठ, दान और व्रत-उपवास से अक्षय पुण्यफल यानि कभी खत्म न होने जैसे पुण्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं अक्षय तृतीया की तिथि, इस दिन बनने वाले शुभ योग, पूजा विधि और खरीदारी के मुहूर्त से जुड़ी सारी जानकारी.

अक्षय तृतीया तिथि और शुभ योग (Akshaya Tritiya 2025 Date and Shubh Yog)

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि, वैशाख शुक्ल की तृतीया तिथि 29 अप्रैल 2025 शाम 5 बजकर 31 मिनट पर शुरू हो जाएगी और 30 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 31 मिनट कर रहेगी. साथ ही इस वर्ष अक्षय तृतीया पर गुरु-चंद्र की युति से गजकेसरी राजयोग भी रहेगा. इस दिन चतुर्ग्रही योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शोभन योग और लक्ष्मी नारायण योग का भी निर्माण हो रहा है. इन शुभ योग में की की गई खरीदारी और पूजा-पाठ का लाभ मिलेगा.

अक्षय तृतीया 2025 खरीदारी और पूजा मुहूर्त (Akshaya Tritiya 2025 Shopping and Puja Mahurat)

अक्षय तृतीया पर सोना-चांदी खरीदने के शुभ मुहूर्त की शुरुआत 29 अप्रैल 2025 से ही हो जाएगी. आज शाम 05:31 मिनट से खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो जाएगी. वहीं 30 अप्रैल सुबह 06:11 से लेकर दोपहर 02:12 तक सोना खरीद सकते हैं. अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है. इस दिन पूजा के लिए सुबह 06:11 से दोपहर 12:36 तक का समय रहेगा.

अक्षय तृतीया 2025 धार्मिक महत्व और मान्यताएं (Akshaya Tritiya Significance)

धार्मिक मान्यता है कि वैशाख शुक्ल की तृतीया तिथि पर ही भगवान विष्णु के अवतार परशुराम का जन्म हुआ था. चारधाम में एक बद्रीनाथ के कपाट भी इसी दिन खुलते हैं. वृंदावन से बांके बिहारी के चरणों के दर्शन भी पूरे साल में केवल अक्षय तृतीया के दिन ही होते हैं. ऐसी मान्यता है कि सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत भी अक्षय तृतीया के दिन हुई थी और इसी तिथि में द्वापर युग का समापन हुआ था.

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