
Jyeshtha Bada Mangal 2025: ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले मंगलवार को बड़ा मंगल के रूप में मनाया जाता है. बड़ा मंगल पर भगवान हनुमान के वृद्ध रूप की पूजा का महत्व है. ज्येष्ठ माह की शुरुआत के साथ ही इस साल बड़ा मंगल भी शुरू हुआ और 20 मई 2025 को दूसरा बड़ा मंगल है.
मंगलवार का दिन हनुमान जी की पूजा के लिए समर्पित होता है. लेकिन ज्येष्ठ माह का मंगलवार हनुमान जी की पूजा के लिए अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है. इस दिन किए विधिवत पूजन-व्रत से मनोकामना की पूर्ति होती है. भगवान हनुमान के प्रति लोगों की गहरी आस्था और श्रद्धा है और हर हिंदू के जुबान पर जय जय बजरंगबली का उद्घोष रहता है.
लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि, केवल हिंदू ही नहीं बल्कि बजरंगबली तो नवाबों के भी आराध्य हैं. हनुमान जी के चमत्कार के आगे लखनऊ का एक नवाब नतमस्तक था और ऐसा अकीद हुआ कि उन्होंने हनुमान जी का मंदिर ही बनवा डाला.
हनुमान जी के चमत्कार के आगे नतमस्तक था लखनऊ का ये नवाब!
अयोध्या स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर का निर्माण मुस्लिम शासक ने कराया था. इतिहासकारों के अनुसार सुल्तान मंसूर अली के इकलौते बेटे की तबीयत एक रात बहुत ज्यादा खराब हो गई. तब उनके दरबार में किसी ने उनको हनुमान की अराधना करने की सलाह दी. बेटे के लिए सुल्तान ने श्रद्धापूर्वक हनुमान जी को याद किया और बजरंगबली की कृपा से उनका बेटा चमत्कारिक रूप से ठीक हो गया. इसके बाद सुल्तान ने अपनी 52 बीघा जमीन मंदिर और इमली वन के नाम कर दी. इसी जमीन पर निर्माण हुए मंदिर को हनुमान गढ़ी के नाम से जाना जाता है.
- हनुमान गढ़ी के अलावा लखनऊ अलीगंज में स्थित हनुमान मंदिर का निर्माण भी अवध के नवाब मुहम्मद अली शाह और ने कराया. दरअसल नवाब मुहम्मद अली शाह और उनकी बेगम राबिया को संतान नहीं थी. बेगम को सपने में बजरंगबली के दर्शन हुए थे. बजरंगबली ने उनसे कहा कि, इस्लामीबाड़ा टीले के नीचे दबी मूर्ति को निकालकर मंदिर का निर्माण कराए. टीले की खुदाई के बाद वहां सच में हनुमान जी की मूर्ति निकली. इसके बाद बेगम और मुहम्मद शाह ने मंदिर का जीर्णोधार कराया, जिसके बाद उन्हें संतान सुख मिला.
- लखनऊ के अलीगंज में ही महावीर मंदिर में नवाबों की गहरी अस्था है. कहा जाता है कि, आलिया को कोई संतान नहीं थी, उसने हनुमान जी की उपासना करनी शुरू की, जिसके बाद मंगलवार के दिन ही नवाब सआदत अली खान का जन्म हुआ. मन्नत पूरी होने के बाद आलिया ने मंदिर के ऊपर चांद-तारा भी लगवाया, जो आज भी लगा है.
नवाबों ने ही शुरू की भंडारे की पंरपरा
ज्येष्ठ बड़ा मंगल पर भंडारा कराया जाता है, जिसकी शुरुआत भी नवाबों ने ही की थी. कहा जाता है कि, नवाब वाजिद अली शाह प्राचीन हनुमान मदिर ने लगाने वाले मेले में ब्रह्मभोज का आयोजन कराया. उनकी बेगम की ओर से बंदरों का चना खिलाया जाता है. कुछ इसी तरह से बड़ा मंगल पर भंडारे के आयोजन के परंपरा की शुरुआत भी हुई.
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