
Chaitra navratri date 2025: चैत्र नवरात्रि 2025 की शुरुआत आज 30 मार्च, रविवार से हो चुकी है. पंचांग के अनुसार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष को प्रारंभ हो रहा है. तिथि 29 मार्च 2025 को शाम 4:27 बजे शुरू होगी और 30 मार्च 2025 को दोपहर 12:49 बजे समाप्त होगी. इसलिए, नवरात्रि का पहला दिन 30 मार्च को है. आज पहली देवी मां शैलपुत्री की पूजा है.
इस दौरान भक्तगण मां दुर्गा के नौ रूपों शैलपुत्री से लेकर सिद्धिदात्री तक की पूजा करते हैं. पूरे नौ दिनों तक व्रत रखकर कलश स्थापना, दुर्गा सप्तशती का पाठ और सुबह-शाम आरती की जाती है. अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन और हवन का आयोजन होता है, जिसमें नौ कन्याओं को भोजन कराया जाता है.
चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन राम नवमी के रूप में मनाया जाता है, जो भगवान श्रीराम के जन्म का पावन पर्व है. इस दिन भक्तजन श्रीराम की विशेष पूजा करते हैं, रामायण पाठ, भजन और कीर्तन का आयोजन करते हैं और प्रभु श्रीराम की कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं.
राम नवमी पर श्रीराम जन्मोत्सव की झांकियां निकाली जाती हैं और मंदिरों में उल्लास और भक्ति का माहौल रहता है. इस प्रकार, चैत्र नवरात्रि मां दुर्गा और श्रीराम की कृपा पाने का अद्भुत अवसर है, जो जीवन में सुख, शांति, शक्ति और समृद्धि लाता है. इस बार चैत्र नवरात्रि में विशेष संयोग बन रहा है.
चैत्र नवरात्रि घटस्थापना शुभ मुहूर्त: 30 मार्च 2025 को घटस्थापना करने का सबसे अच्छा समय सुबह 6:13 बजे से 10:21 बजे तक रहेगा. इसके अलावा, अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:00 बजे से 12:50 बजे तक होगा.
आखिर कितने दिनों की है चैत्र नवरात्रि: हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च, रविवार से हो रही है और समापन 6 अप्रैल, रविवार को होगा. तिथियों में बदलाव के कारण अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ रही हैं, जिससे नवरात्रि केवल 8 दिनों की होगी. राम नवमी भी इसी दिन मनाई जाएगी मान्यता है, कि इन 9 दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की श्रद्धा से पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
चैत्र नवरात्रि पूजा विधि:
- प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें.
- एक मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं और उसके ऊपर जल से भरा कलश स्थापित करें.
- कलश पर आम के पत्ते सजाकर उस पर नारियल रखें. मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर विराजित करें.
- मां को अक्षत, सिंदूर, लाल फूल, फल, मिठाई, धूप और दीप अर्पित करें.
- दुर्गा चालीसा का पाठ करें और मां की आरती करें.
- मां को सात्विक भोजन का भोग अर्पित करें.
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