
Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज,जिन्हें आमतौर पर वृंदावन वाले प्रेमानंद जी महाराज के नाम से जाना जाता है,अपने पीले वस्त्रों के लिए विशेष रूप से पहचाने जाते हैं. उनकी यह वेशभूषा केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि उनके आध्यात्मिक मार्ग और भक्ति भावना की गहन अभिव्यक्ति भी है.
पीले वस्त्रों का आध्यात्मिक महत्व
प्रेमानंद महाराज राधावल्लभ संप्रदाय से संबंधित हैं, जो राधा रानी और श्रीकृष्ण भक्ति को समर्पित है. इस संप्रदाय में पीले वस्त्रों का विशेष महत्व है, क्योंकि यह रंग राधा-कृष्ण की दिव्य लीलाओं और प्रेम का प्रतीक माना जाता है.
राधा रानी की कांति पीतवर्ण (सोने के समान) मानी जाती है और श्रीकृष्ण को ‘पीतांबर’ कहा जाता है, जो पीले वस्त्र धारण करते हैं. इसलिए, प्रेमानंद जी महाराज पीले वस्त्र पहनकर अपने आराध्य के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण प्रकट करते हैं.
प्रेमानंद महाराज ने अपने आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत किशोरावस्था में ही कर दी थी. उन्होंने नैष्ठिक ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए संन्यास लिया और बाद में राधावल्लभ संप्रदाय में दीक्षित हुए. उनके गुरु, पूज्य श्री हित गौरांगी शरण जी महाराज (बड़े गुरुजी), ने उन्हें ‘सहचारी भाव’ और ‘नित्य विहार रस’ की दीक्षा दी, जिससे वे राधा-कृष्ण की लीलाओं में पूर्णतः लीन हो गए.
पीले वस्त्रों के साथ अन्य प्रतीक
प्रेमानंद महाराज न केवल पीले वस्त्र पहनते हैं, बल्कि अपने मस्तक पर पीले चंदन का तिलक भी लगाते हैं. यह तिलक उनकी भक्ति की गहराई और राधा-कृष्ण के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक है. उनके अनुयायी भी अक्सर पीले या सफेद वस्त्र पहनते हैं, जो उनकी भक्ति परंपरा और संप्रदाय की पहचान को दर्शाते हैं.
प्रेमानंद महाराज के पीले वस्त्र उनकी आध्यात्मिक यात्रा, भक्ति भावना और राधा-कृष्ण के प्रति उनके अनन्य प्रेम का प्रतीक है. यह वेशभूषा न केवल उनके संप्रदाय की परंपरा को दर्शाती है, बल्कि उनके जीवन के हर पहलू में राधा-कृष्ण की भक्ति को समर्पित रहने की उनकी प्रतिबद्धता को भी प्रकट करती है.
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