करोड़ों दिलों पर राज करने वाली मधुबाला को थी यह बीमारी, समय पर पता चल जाता तो

इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में जब भी किसी खूबसूरत और दिलकश अदाकारा का जिक्र होता हैं, तो इसमें मधुबाला का नाम जरूर लिया जाता है, जिनकी एक मुस्कान और अदा पर करोड़ों लोग अपना दिल हार बैठते थे. उन्होंने बहुत कम उम्र में ही अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की और नाम, दौलत, शोहरत, रुतबा सब कुछ हासिल किया. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस लाइमलाइट के पीछे मधुबाला चुपचाप एक गंभीर बीमारी से लड़ रही थीं और इसी बीमारी ने उनकी जान तक ले ली.

हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान मधुबाला की बहन मधुर भूषण ने बताया कि एक दिन जब मधुबाला अपने दांतों को ब्रश कर रही थीं, तो उन्होंने खून की उल्टी की. दिलीप साहब उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचे तो पता चला कि उनके दिल में छेद हैं.

हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान मधुबाला की बहन मधुर भूषण ने बताया कि एक दिन जब मधुबाला अपने दांतों को ब्रश कर रही थीं, तो उन्होंने खून की उल्टी की. दिलीप साहब उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचे तो पता चला कि उनके दिल में छेद हैं.

बाहर से एकदम हेल्दी और खूबसूरत दिखने वाली मधुबाला को इतनी बड़ी बीमारी थी, इसका अंदाजा भी कोई नहीं लग पाया था और कई लोगों को तो इस बात पर यकीन भी नहीं हुआ.

बाहर से एकदम हेल्दी और खूबसूरत दिखने वाली मधुबाला को इतनी बड़ी बीमारी थी, इसका अंदाजा भी कोई नहीं लग पाया था और कई लोगों को तो इस बात पर यकीन भी नहीं हुआ.

डॉक्टर की सलाह थी कि मधुबाला उस समय आराम करें, लेकिन उन्होंने अपना काम जारी रखा. उस समय वह अपने करियर के टॉप पर थीं और रुकना नहीं चाहती थीं. मुग़ल-ए-आज़म की शूटिंग के दौरान वह कई बार थककर बेहोश तक हो जाती थीं. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और लंदन जाकर इलाज करवाया. वहां के डॉक्टर ने तक कहा था कि उन्हें काम नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह 2 साल से ज्यादा जिंदा नहीं रह पाएंगी. इसके बाद 23 फरवरी 1969 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनकी मौत हो गई.

डॉक्टर की सलाह थी कि मधुबाला उस समय आराम करें, लेकिन उन्होंने अपना काम जारी रखा. उस समय वह अपने करियर के टॉप पर थीं और रुकना नहीं चाहती थीं. मुग़ल-ए-आज़म की शूटिंग के दौरान वह कई बार थककर बेहोश तक हो जाती थीं. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और लंदन जाकर इलाज करवाया. वहां के डॉक्टर ने तक कहा था कि उन्हें काम नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह 2 साल से ज्यादा जिंदा नहीं रह पाएंगी. इसके बाद 23 फरवरी 1969 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनकी मौत हो गई.

दिल में छेद को मेडिकल लैंग्वेज में वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (VSD) कहा जाता है. आमतौर पर यह बीमारी बचपन में ही पकड़ आ जाती है, लेकिन कुछ मामलों में सालों बीत जाने के बाद भी लक्षण नहीं दिखते हैं. एक्सपर्ट्स के अनुसार, अगर दिल में छेद छोटा है, तो मरीज बिना किसी लक्षण के सामान्य जिंदगी जी सकता है. लेकिन धीरे-धीरे यह समस्या दिल और फेफड़ों पर दबाव बनाना शुरू कर देती है और स्थिति को और गंभीर कर देती है.

दिल में छेद को मेडिकल लैंग्वेज में वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (VSD) कहा जाता है. आमतौर पर यह बीमारी बचपन में ही पकड़ आ जाती है, लेकिन कुछ मामलों में सालों बीत जाने के बाद भी लक्षण नहीं दिखते हैं. एक्सपर्ट्स के अनुसार, अगर दिल में छेद छोटा है, तो मरीज बिना किसी लक्षण के सामान्य जिंदगी जी सकता है. लेकिन धीरे-धीरे यह समस्या दिल और फेफड़ों पर दबाव बनाना शुरू कर देती है और स्थिति को और गंभीर कर देती है.

वीएसडी के सामान्य लक्षणों में जल्दी थक जाना, बार-बार सांस फूलना, वजन बढ़ना, बार-बार सर्दी खांसी होना, छाती में दर्द होना, धड़कन तेज होना, शरीर का नीला पड़ना और कई बार खून की उल्टी होना जैसी समस्या हो सकती है.

वीएसडी के सामान्य लक्षणों में जल्दी थक जाना, बार-बार सांस फूलना, वजन बढ़ना, बार-बार सर्दी खांसी होना, छाती में दर्द होना, धड़कन तेज होना, शरीर का नीला पड़ना और कई बार खून की उल्टी होना जैसी समस्या हो सकती है.

Published at : 30 Apr 2025 08:27 AM (IST)

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