फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी से की जमीन हड़पने की कोशिश, रजिस्ट्रार ने रजिस्ट्री रद्द करने का दिया आदेश
मयंक रावत
वसई : वसई (पूर्व) के राजवली गांव में स्थित सर्वे नंबर 159, हिस्सा नंबर 4 की जमीन को लेकर एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस मामले में वसई के रजिस्ट्रार ने दस्तावेजों की जांच के बाद रजिस्ट्री रद्द करने का आदेश दिया है।
पीड़ित मोहम्मद अकरम बरकत अली इदरीसी (35), निवासी आज़ाद सोसाइटी, संजय नगर, पठानवाड़ी, मलाड (पूर्व) ने बताया कि उनके पिता बरकत अली समीउल्लाह इदरीसी और उनके साथी मोहम्मद आज़म अबरार अहमद सिद्दीकी ने वर्ष 2007 में वसई (पूर्व) के राजवली गांव स्थित सर्वे नंबर 159, हिस्सा 4 में 316 गुंठा जमीन खरीदी थी। उक्त जमीन उनके नाम पर स्थानांतरित भी कर दी गई थी।
फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी से किया सौदा
पीड़ित के अनुसार, अब्दुल वाहिद जमीउल्ला खान और उनके बेटे जावेद अब्दुल वाहिद खान ने फर्जी दस्तावेज़ों और पॉवर ऑफ अटॉर्नी के ज़रिए 140 गुंठा जमीन अपने नाम करवाने की कोशिश की। इसके लिए उन्होंने वर्ष 2008 से 2009 के बीच अलग-अलग नोटरी और अधिवक्ताओं की सहायता से चार फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी तैयार करवाए।
इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 2011 में दस्तावेज क्रमांक 9528/2011 के तहत अब्दुल वाहिद और उनके पुत्र जावेद के नाम पर जमीन रजिस्टर्ड करवाई गई और 7/12 पर भी नाम दर्ज करवा लिया गया।

पिता ने कभी नहीं दिए थे हस्ताक्षर
अकरम इदरीसी का कहना है कि उनके पिता ने किसी भी पॉवर ऑफ अटॉर्नी पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। जांच में यह भी सामने आया कि मूल पावर ऑफ अटॉर्नी में सर्वे नंबर-159 का हिस्सा नंबर-4 का कोई उल्लेख नहीं है। इसका मतलब साफ है कि जमीन के इस हिस्से पर कोई वैध स्वामित्व नहीं हो सकता।
एफआईआर,आरोप पत्र और सजा
मोहम्मद अकरम इदरीसी ने वर्ष 2023 में वालीव पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने अब्दुल वाहिद और अन्य के खिलाफ IPC की धारा 420, 465, 467, 471, 472, 34 और 120B के तहत एफआईआर दर्ज की। 26 अगस्त 2025 को पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। कोर्ट ने सुनवाई के बाद अब्दुल वाहिद को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
रजिस्ट्री रद्द और एमआरटीपी केस दर्ज
इस गंभीर मामले को लेकर वसई-विरार महानगरपालिका के अधिकारी किशोर गवस ने भी एमआरटीपी एक्ट के तहत अब्दुल वाहिद खान के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया है। रजिस्ट्रार कार्यालय ने मामले की पुष्टि करते हुए स्पष्ट किया कि इतनी बड़ी संख्या में दस्तावेजों की जांच संभव नहीं होती, लेकिन फर्जीवाड़ा साबित होने पर रजिस्ट्री को रद्द करने का आदेश जारी कर दिया गया है।
22-25 करोड़ की जमीन का मामला
अकरम इदरीसी के अनुसार, इस जमीन की मौजूदा कीमत लगभग 22 से 25 करोड़ रुपये आंकी गई है। उन्होंने मांग की है कि इतने बड़े फर्जीवाड़े के मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए ताकि जल्दी न्याय मिल सके।