
Parenting Tips During War : एक बार सोचकर देखिए आप घर के ड्राइंग रूम में बैठे हैं, टीवी पर खबरें चल रही हैं, सीमा पर तनाव, एयर स्ट्राइक, हमले की आशंका. इस स्थिति को देखते हुए आप तो समझ जाएंगे कि, किस तरह के हालात बने हुए हैं. लेकिन आपके पास बैठा हुआ छोटा सा बच्चा इसे देखकर डरा और सहमा हुआ नजर आ रहा है. इसी बीच वह आपसे सवाल करता है, “क्या हमें कुछ हो जाएगा?” यही वो पल होता है जब माता-पिता की असली परीक्षा शुरू होती है. युद्ध सिर्फ गोलियों और बमों की लड़ाई नहीं होती, यह बच्चों के नाज़ुक मन पर भी गहरी छाप छोड़ती है. ऐसे हालात में कैसे करें बच्चों की देखभाल? यही बातें आज हम आपको बताने जा रहे हैं.
युद्ध के समय बच्चों का ध्यान कैसे रखें
युद्ध जैसी तनावपूर्ण स्थिति बच्चों के लिए बेहद डरावनी हो सकती है. उनकी मासूम समझ दुनिया को वैसी नहीं देख पाती, जैसी की आप दिखाते हैं. ऐसे समय में माता-पिता का रवैया और तरीका बच्चों की मानसिक और भावनात्मक सुरक्षा के लिए सबसे अहम हो जाता है.
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बच्चों से खुलकर करें बात
सबसे पहले जरूरी है कि आप बच्चों से उनके डर और सवालों के बारे में बात करें. उन्हें यह बताएं कि हालात मुश्किल हैं, लेकिन आप सुरक्षित हैं. उनकी उम्र के हिसाब से सरल शब्दों में सच्चाई बताएं ताकि वे खुद को संभाल पाएं.
उनकी भावनाओं को समझें
कई बार हम बच्चों को यह कहकर चुप करा देते हैं कि “डरने की जरूरत नहीं है.” लेकिन उनकी भावनाओं को दबाना सही नहीं है. अगर बच्चा डरा हुआ है या चिंता कर रहा है, तो उसकी भावनाओं को स्वीकार करें और उसे आश्वस्त करें कि उसका डर स्वाभाविक है.
लाइफस्टाइल बनाए रखें
युद्ध की स्थिति में भी बच्चों की नियमित लाइफस्टाइल, खेलना, पढ़ना, खाना, सोना, जितना हो सके सामान्य रखें. यह उन्हें स्थिरता और सुरक्षा का अहसास कराता है. क्योंकि रूटीन टूटने से उनका मन और ज्यादा अस्थिर हो सकता है.
टीवी या मोबाइल पर उनके सामने खबरें न देखें
बच्चे लगातार डरावनी खबरें और वीडियो देखकर मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं. कोशिश करें कि उनके सामने टीवी पर खबरें न चलें या मोबाइल में ऐसे कंटेंट से दूरी बनाएं.
बच्चों को पॉजिटिव एक्टिविटीज में व्यस्त रखें
बच्चों को रचनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रखें. ड्राइंग, पजल्स, कहानी सुनना या खेल जैसी चीजें उनके दिमाग को तनाव से हटाकर सकारात्मक ऊर्जा देती हैं.
युद्ध जैसे हालात में बच्चों की देखभाल सिर्फ शारीरिक सुरक्षा तक सीमित नहीं होती, बल्कि उनके दिल और दिमाग की हिफाजत भी उतनी ही जरूरी है. बच्चों को यह विश्वास दिलाना सबसे अहम है कि चाहे हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, पूरा परिवार आपके साथ है और सब कुछ जल्द ही ठीक हो जाएगा.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.