क्या 41,000 साल पहले लोग सनस्क्रीन लगाते थे? अब मिला चौंकाने वाला सबूत


<div align="left">
<p dir="ltr" style="text-align: justify;"><strong>Sunscreen History</strong> : गर्मी के मौसम में सूरज की तेज किरणों से बचने के लिए हम सनस्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं. ज्यादातर लोगों को लगता है कि यह आज के जमाने और मॉडर्न कॉस्मेटिक इंडस्ट्री का हिस्सा है. लेकिन एक नए रिसर्च में बताया गया है कि 41,000 साल पहले भी हमारे पूर्वज सनस्क्रीन (Sunscreen) का इस्तेमाल करते थे.</p>
<p dir="ltr" style="text-align: justify;">मिशिगन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर ने एक स्टडी में बताया कि हमारे पूर्वज यानी होमो सेपियंस (Homo Sapiens) सूरज की हानिकारक किरणों से बचने के लिए सनस्क्रीन जैसे उपाय अपनाए थे. तब ये सनस्क्रीन किसी ब्रांडेड प्रोडक्ट की तरह नहीं था, बल्कि नेचुरल और सिंपल होते थे, जिनका इस्तेमाल वे अपने शरीर को हानिकारक चीजों से बचाने के लिए करते थे. आइए जानते हैं क्या कहती है स्टडी…</p>
</div>
<div style="text-align: justify;" align="left">
<p dir="ltr"><strong>धरती पर हुए अहम बदलाव</strong></p>
</div>
<div style="text-align: justify;" align="left">
<p dir="ltr">स्टडी में बताया गया कि&nbsp; 41,000 साल पहले, जब धरती का चुंबकीय क्षेत्र बहुत कमजोर हो गया था, तो सूरज की किरणें सीधा धरती तक पहुंचने लगीं. ये वक्त Laschamps Excursion का था.&nbsp; जब धरती के ऊपर से उत्तरी ध्रुव खिसक कर यूरोप के ऊपर आ गया था और उसकी सुरक्षा ढाल सिर्फ 10% रह गई थी. इस कारण सूरज से निकलने वाले रेडिएशन और ब्रह्मांडीय किरणों की मात्रा काफी बढ़ गई थी, जो धरती के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकती थीं. इस दौरान, यूरोप और उत्तरी अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में सूर्य की एनर्जी और रेडिएशन का लेवल बहुत ज़्यादा बढ़ गया था और इसके कारण लोगों को सूरज से होने वाली बीमारियों का सामना करना पड़ सकता था, जैसे त्वचा की जलन, आंखों से जुड़ी और फोलेट की कमी जैसी समस्याएं. लेकिन सवाल उठता है कि हमारे पूर्वजों ने इसका सामना कैसे किया, क्या वे उस समय सूरज की तेज किरणों से बचने के लिए कुछ खास उपाय करते थे.</p>
</div>
<div style="text-align: justify;" align="left">
<p dir="ltr"><strong>कपड़े और गुफाओं से मिली मदद</strong></p>
</div>
<div style="text-align: justify;" align="left">
<p dir="ltr">शोधकर्ताओं के मुताबिक, होमो सेपियंस ने अपनी सुरक्षा और आराम के लिए कई बदलाव किए. जब सूरज की तेज़ किरणों से बचने के लिए बाहर रहना खतरनाक हो गया, तो हमारे पूर्वज गुफाओं में रहने लगे. गुफाओं के अंदर छांव होती थी और ये प्राकृतिक रूप से उनकी सुरक्षा करता थे. करीब-करीब उसी समय, होमो सेपियंस ने सिलवाए हुए कपड़े बनाना शुरू किया. ये कपड़े न सिर्फ उन्हें ठंडे मौसम में गर्म रखते थे, बल्कि सूरज की हानिकारक किरणों से भी बचाते थे.</p>
</div>
<div style="text-align: justify;" align="left">
<p dir="ltr"><strong>गेरू (Ochre) का इस्तेमाल</strong></p>
</div>
<div style="text-align: justify;" align="left">
<p dir="ltr">गेरू एक प्राकृतिक लाल रंग का खनिज होता है, जो आयरन ऑक्साइड से बना होता है. इसका उपयोग हमारे पूर्वज अपनी त्वचा पर लगाकर सूरज से बचने के लिए करते थे. यह एक प्राकृतिक सनस्क्रीन की तरह काम करता था और शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि इसे लोग सुरक्षा के लिए इस्तेमाल करते थे.</p>
</div>
<div style="text-align: justify;" align="left">
<p dir="ltr"><strong>गेरू एक प्राचीन ‘सनस्क्रीन’ है</strong></p>
</div>
<div style="text-align: justify;" align="left">
<p dir="ltr">गेरू का इस्तेमाल सिर्फ सजावट के लिए नहीं, बल्कि सूरज से बचाव के लिए भी किया जाता था. यह खनिज सनस्क्रीन की तरह काम करता था, क्योंकि इसमें ऐसे गुण होते हैं जो सूर्य की हानिकारक किरणों को हमारी त्वचा तक पहुंचने से रोकते थे. यह प्रमाणित किया गया है कि गेरू का इस्तेमाल प्राकृतिक सनस्क्रीन के रूप में किया जाता था और यह आज भी कुछ आदिवासी समुदायों में देखा जाता है.</p>
</div>
<div style="text-align: justify;" align="left">
<p dir="ltr"><strong>कपड़े, गेरू और सूरज से सेफ्टी</strong></p>
</div>
<div style="text-align: justify;" align="left">
<p dir="ltr">जब होमो सेपियंस ने सिलवाए कपड़े बनाना शुरू किया, तो यह सिर्फ शरीर को ठंड से बचाने का तरीका नहीं था. इसके दो बड़े फायदे थे. ये उन्हें सूरज की तेज़ किरणों से भी बचाता था और सर्दी और गर्मी से भी बचाता था, जिससे वे खाने की तलाश में दूर-दूर तक जा सकते थे.</p>
</div>
<div style="text-align: justify;" align="left">
<p dir="ltr"><strong>क्या ये सनस्क्रीन आज के जैसे थे</strong></p>
</div>
<div style="text-align: justify;" align="left">
<p dir="ltr">यूएम के मानव विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर रेवेन गर्वे का कहना है कि पुराने समय के सनस्क्रीन आज के किसी ब्रांडेड क्रीम की तरह नहीं थे, लेकिन फिर भी प्राकृतिक तरीके थे, जो उन लोगों को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाते थे. हमारे पूर्वजों के पास उस समय तकनीक और सामान कम थे, लेकिन उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों का स्मार्ट तरीके से इस्तेमाल किया.</p>
<div dir="auto">
<div align="left">
<p dir="ltr"><strong>Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें..</strong></p>
<p dir="ltr"><strong>यह भी पढ़ें:&nbsp;<a title="हेल्थ गर्मियों में बच्चों पर अटैक करती हैं ये 3 बीमारियां, अभी से हो जाएं सावधान!" href="https://www.abplive.com/lifestyle/health/child-health-care-tips-in-summer-kids-are-most-at-risk-of-3-diseases-2925757/amp/amp/amp/amp/amp" target="_blank" rel="noopener">गर्मियों में बच्चों पर अटैक करती हैं ये 3 बीमारियां, अभी से हो जाएं सावधान!</a></strong></p>
</div>
<p dir="ltr">&nbsp;</p>
</div>
</div>

Related Posts

प्रेग्नेंसी में ‘साइलेंट किलर’ से सावधान, विशेषज्ञ से जानें लक्षण और बचाव

World Pre-eclampsia Day: हर साल 22 मई को विश्व प्री-एक्लेम्पसिया दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य गर्भावस्था के दौरान होने वाली एक गंभीर अवस्था प्री-एक्लेम्पसिया के प्रति…

इस बीमारी में पानी ही बन जाता है जहर, ज्यादा पीना हो सकता है जानलेवा

Effect of Drinking Excessive Water: आपने बचपन से यही सुना होगा  “जितना ज्यादा पानी पियो, उतना अच्छा.” सुबह खाली पेट पानी पीना, हर घंटे घूंट-घूंट पानी पीना, ये सब अब…

Leave a Reply