
भारत में हार्ट अटैक के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. इंडियन हार्ट असोसिएशन के आंकड़ों पर गौर करें तो भारत में हर साल करीब 20 लाख लोग हार्ट डिजीज की चपेट में आ जाते हैं, जिनमें ज्यादातर मामले हार्ट अटैक के होते हैं. पहले उम्रदराज लोगों में नजर आने वाली यह बीमारी अब 15 से 20 साल के युवाओं को भी अपना शिकार बनाने लगी है. इसकी मुख्य वजह अनहेल्दी खान-पान, टेंशन और बेतरतीब लाइफस्टाइल है. गौर करने वाली बात यह है कि हार्ट अटैक से पहले हमारी बॉडी कई सिग्नल देती है. अगर इन सिग्नल को वक्त पर पहचान लिया जाए तो जान बच सकती है. आइए आपको बताते हैं कि हार्ट अटैक आने से पहले किन चीजों से जान बचाई जा सकती है.
कैसे होते हैं हार्ट अटैक के शुरुआती लक्षण?
डॉक्टरों की मानें तो हार्ट अटैक अचानक नहीं आता है. कई बार इसके लक्षण कुछ हफ्ते पहले से नजर आने लगते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अमेरिकन हार्ट असोसिएशन (AHA) के मुताबिक, हार्ट अटैक का सबसे आम लक्षण सीने के बीच में दबाव, भारीपन, निचोड़ने जैसा दर्द या जलन होता है. यह दर्द कुछ मिनटों तक रहता है और कई दफा बार-बार होता है. आमतौर पर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं. इसके अलावा बिना मेहनत किए सांस फूलना दिल में ऑक्सीजन की कमी का संकेत हो सकता है. अगर आपके बाई बांह, कंधे, गर्दन, जबड़े या पेट और पीठ में अचानक दर्द हो रहा है तो यह हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है. रात में बार-बार नींद टूटने से लेकर उल्टी जैसा महसूस होना भी हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है. इसके अलावा जब हार्ट ठीक से ब्लड पंप नहीं कर पाता है तो पैरों-टखनों या पैरों की उंगलियों में सूजन आ सकती है.
इन तरीकों से बचा सकते हैं जान
हार्ट अटैक के शुरुआती 60 मिनट को गोल्डन आवर कहा जाता है. अगर इस दौरान मरीज को इलाज मिल जाए तो जान बचने के आसार 90 फीसदी तक बढ़ जाते हैं. इसके लिए सबसे पहला और जरूरी कदम आपातकालीन नंबर पर कॉल करना है. अगर आप अकेले हैं तो तुरंत पड़ोसी या किसी परिचित को जानकारी दें, क्योंकि ऐसे वक्त पर हर सेकेंड कीमती होता है. ऐसे हालात में गाड़ी खुद नहीं चलानी चाहिए, क्योंकि रास्ते में दिक्कत बढ़ सकती है.
एस्पिरिन कर सकती है मदद
अगर हार्ट अटैक के लक्षण महसूस हो रहे हैं तो आप एस्पिरिन की 300 एमजी की टैबलेट ले सकते हैं. यह बात ध्यान रखनी होगी कि आपको इससे एलर्जी नहीं होनी चाहिए और डॉक्टर की सलाह के बिना इस दवा को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. एस्पिरिन खून को पतला करती है और खून के थक्के को बनने से रोक सकती है, जो हार्ट अटैक का मुख्य कारण होता है. अमेरिकन हार्ट असोसिएशन के मुताबिक, एस्पिरिन दिल को होने वाला नुकसान 20-30 फीसदी तक कम कर सकती है.
यह दवा भी दे सकती है राहत
अगर आप हार्ट पेशेंट हैं तो डॉक्टर की बताई नाइट्रोग्लिसरीन दवा का सेवन कर सकते हैं. इसे डॉक्टर की सलाह के हिसाब से इस्तेमाल करना चाहिए. यह दवा रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करके दिल तक ब्लड के फ्लो को बढ़ा सकती है और सीने के दर्द को कम कर सकती है. हालांकि, डॉक्टर से सलाह लिए बिना इस दवा का सेवन नहीं करना चाहिए.
सीपीआर भी बचा सकता है जान
अगर हार्ट अटैक के लक्षण नजर आ रहे हैं तो तुरंत बैठ जाएं या लेट जाएं. इस दौरान गहरी सांस लेने की कोशिश करें और टेंशन बिल्कुल भी न लें. अगर कोई शख्स हार्ट अटैक के बाद बेहोश हो गया है और सांस नहीं ले पा रहा है तो तुरंत सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) शुरू करें. अगर मरीज के पास मौजूद शख्स को सीपीआर देने की जानकारी नहीं है तो वह मरीज को हैंड्स-ओनली सीपीआर दें. इसके लिए छाती के बीच में तेजी से दबाएं. यह स्पीड 100 से 120 बार प्रति मिनट तक होनी चाहिए. इससे ब्लड फ्लो बनाने में मदद मिलती है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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