Geeta Gyan: भगवान श्रीकृष्ण ने नरक के 3 द्वार कौन से बताएं हैं? कान्हा के भक्त हैं तो जरूर जाने

Geeta Gyan in Hindi: श्रीमद्भागवत गीता सनातन धर्म का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण ग्रंथ, जिसमें श्रीकृष्ण ने धर्म, कर्म, प्रेम, मोक्ष, न्याय आदि से जुड़ी कई बातें बताई हैं. महाभारत की रणभूमि में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया इसे हम गीता उपदेश या गीता ज्ञान के नाम से जानते हैं. गीता में संपूर्ण जीवन का दर्शन समाहित है. इसका अनुसरण करने वाला व्यक्ति समस्त समस्याओं से मुक्त होकर सुखी जीवन जीता है.

गीता में श्रीकृष्ण तीन नरक के बारे में भी बताते हैं. यह ऐसा नरक है जिसके दर्शन जीवनकाल में ही हो जाते हैं. इसलिए अगर आप सुखी जीवन जीना चाहते हैं तो इन तीनों नरक से दूर रहें. आइये जानते हैं ये तीन नरक कौन से हैं-

त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत।।

भगवद गीता
, अध्याय १६, श्लोक २१।।

श्रीकृष्ण के अनुसार, काम, क्रोध और लोभ ये तीन ऐसे नरक हैं, जिससे आत्मा का पूर्णत: विनाश हो जाता है. गीता में स्वर्ग और नरक दोनों के बारे में बताया गय है. जो लोग काम, क्रोध और लोभ जैसे अवगुणों का अनुसरण करते हैं, उसके लिए नरक के दरवाजे खुल जाते हैं. इसलिए कृष्ण इनसे दूर रहने की सलाह देते हैं और साथ ही तीनों से मुक्ति पाने का उपदेश भी देते हैं.

काम या वासना- किसी भी चीज की वासना जीवन में कभी अच्छी नहीं होती. यह मनुष्य को ऐसे भौतिक संसार से बांध देती है, जोकि नश्वर और सत्य से कोसों दूर है. काम या वासना के प्रभाव में व्यक्ति स्थूल से पीछे भागता है और जब उसकी आंख खुलती है तो उसे समझ आता है अब मृत्यु निकट है और उसने अपना पूरा जीवन काम या वासना में व्यर्थ कर दिया. इसका सबसे अच्छा उदाहरण रावण है, जिसने एक स्त्री के मोह में आकर अपना विनाश कर डाला.

क्रोध- गुस्सा, क्रोध या आक्रमता व्यक्ति के सोचने की क्षतमा को क्षीण कर देते हैं. क्रोध में आकर व्यक्ति कभी कोई उचित फैसला नहीं ले सकता है. साथ ही क्रोध अपनों से भी दूर कर देता है.

लोभ या लालच- मनुष्य में लोभ या लालच की प्रकृति होती है, जिससे उसका कभी भला नहीं हो सकता. कर्म के अलावा ऐसी कोई वस्तु नहीं है, जिसका संग्रह किया जा सकता है. प्रकृति का भी यही नियम है कि संग्रह न करके केवल देना. जैसे सूर्य प्रकाश देता है, नदियां जल देती है. वृक्ष फल, आहार और वायु देते हैं. यही नियम मनुष्यों पर भी लागू होता है. लोभ में आकर व्यक्ति चोरी, धोखाधड़ी, लूटपाट, पशु-पक्षियों का शोषण, हत्या जैसे कई कार्य करता है, जिससे उसके पाप कर्म बढ़ते हैं और नरक का मार्ग उसके लिए प्रशस्त हो जाता है. 

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