Narada Jayanti 2025: नारद जयंती आज, जानिए पूजा और धार्मिक महत्व

Narada Jayanti 2025: देवऋषि नारद को दिव्य दूत, संदेशवाहक और विद्वान के रूप में जाना जाता है. नारद मुनि भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र हैं. धार्मिक मान्यता अनुसार नारद मुनि देवताओं और असुरों के बीच एक दिव्य दूत का कार्य करते थे और तीनों लोक के संदेशवाहक भी थे. तीनों लोकों में सूचना का आदान-प्रदान करने के कारण इन्हें पृथ्वी का पहला पत्रकार भी कहा जाता है.

पंचांग के अनुसार हर साल ज्येषठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा यानी पहली तिथि पर नारद जयंती मनाई जाती है, जोकि आज मंगलवार 13 मई को है. बुद्धि और संपदा में वृद्धि के लिए इस दिन नारद जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है. आइये जानते हैं नारद जयंती की पूजा विधि और धार्मिक महत्व के बारे में-

नारद जयंती 2025 पूजा-विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहन लें. फिर देवऋषि नारद मुनि का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. पूजाघर की साफ-सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करे. पूजा के लिए एक चौकी तैयार करें और उसके ऊपर कपड़ा बिछाकर नारद मुनि की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. विधि-विधान से पूजा करते हुए फल-फूल, भोग, मिठाई और पूजा सामग्री चढ़ाएं और धूप-दीप जलाएं. अब सभी सदस्यगण में प्रसाद बांटे.

नारद जयंती 2025 महत्व

नारद जयंती का धार्मिक दृष्टि के विशेष महत्व होता है. इस विशेष दिन पर दान-पुण्य करने और ब्राह्मणों को भोजन करना अच्छा माना जाता है. लाभ आपको प्राप्त होगा. नारद मुनि की पूजा करने से सुख-शांति और समृद्धि में बढ़ोतरी होती है.

देवऋषि नारद का स्वरूप

हिंदू धर्म में देवऋषि नारद का महत्वपूर्ण स्थान है, जोकि देवताओं, ऋषियों और असुरों के बीच सेतु का कार्य करते थे. उनका स्वरूप कुछ इस प्रकार बताया गया है- वे धोती पहने और गले में नारंगी रंग के फूलों की माला लिए हुए होते. नारद मुनि के पास ना कोई अस्त्र और ना कोई शस्त्र था. लेकिन फिर भी देवता से लेकर दानव सभी उनका सम्मान करते थे. वो बस केवल हाथ में एक वीणा कपड़े हुए होते थे. वो चाहे किसी भी लोक में रहे, लेकिन कहीं भी दो घड़ी से ज्यादा नहीं ठहते. उनके मुख से पहला और आखिर शब्द होता था- नारायण… नारायण…

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